कल रात जा रहा था जनपथ से मैं यूँही,
मिल गयी आत्मा मुझसे बापू की,
भ्रष्ट प्रजातंत्र में क्या रामराज्य आएगा,
देश ये हमारा सिर्फ रसातल जायेगा,
उँगलियों पे गिन रहा हूँ देश की साँसे में,
देश फिर देखना गुलाम ही ह़ो जायेगा |
मैंने जो झुक के चरण छुए तो बापू,
मेरे आगे झुक कर शाष्टांग ह़ो लिए,
जो मैं रोया बापू आपने क्यूँ किया ऐसे,
आंसू भरे नयनो से गाँधी बापू रो लिए,
जिस देश में रह रहा है तू मेरे बच्चे,
लड़ा नहीं परदेसियों से इसके लिए
देश ये हमारा सिर्फ रसातल जायेगा,
उँगलियों पे गिन रहा हूँ देश की साँसे में,
देश फिर देखना गुलाम ही ह़ो जायेगा |