Tuesday, August 7, 2012

कल रात जा रहा था जनपथ से मैं यूँही,
मिल गयी आत्मा मुझसे बापू की, 
मैंने जो झुक के चरण छुए तो बापू,
मेरे आगे झुक कर शाष्टांग ह़ो लिए,

जो मैं रोया बापू आपने क्यूँ किया ऐसे,
आंसू भरे नयनो से गाँधी बापू रो लिए,
जिस देश में रह रहा है तू मेरे बच्चे,
लड़ा नहीं परदेसियों से इसके लिए

भ्रष्ट प्रजातंत्र में क्या रामराज्य आएगा,
देश ये हमारा सिर्फ रसातल जायेगा,
उँगलियों पे गिन रहा हूँ देश की साँसे में,
देश फिर देखना गुलाम ही ह़ो जायेगा |



Monday, August 6, 2012

राष्ट्र का निर्माण कर

रक्तजनित शब्द हैं, रक्तबीज स्तब्ध हैं,
देश रक्त में नहा, आज क्रान्तिबद्ध है ।

शमन आज संधि का , वमन अग्निशंख का,
पंक्ति तोड़, राह मोड़, जल रहा स्वदेश है ।

अटल नहीं अट्टालिका, जला दे कार्यपालिका ,
ध्वंस कर विध्वंस कर, जला दे राष्ट्रपालिका ।

कठिन समर, रवि प्रखर, नरमुंड ले प्रयाण कर,
रक्त अंजुली में भर, तू राष्ट्र का निर्माण कर ।             

राजेश अमरनाथ पाण्डेय 
06.08.2012