व्यक्ति एवं समाज दोनो का विकास जिसमें निहित है वह है, विचार। मौलिक विचार ही पाथ प्रदर्शक का कार्य करतें हैं। मैं यदि इतिहास के पन्नों में जाकर देखूं तब तो यह बात और भी मजबूती से मेरे मन में
बैठती है कि विचार वह बीज मंत्र है जिससे कोई भी कारण साध्य है।
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