सफ़ेद दुधी और काली स्याही
लकड़ी की काली पटरी से सफ़ेद कागज़ के पन्नो का सफ़र बड़ा ही अजीब सा रहा.
पटरी भले ही काली रही ह़ो पर लिखने वाला ह्रदय हमेशा श्वेत ही रहा है,
क्यों कि कलम एक बच्चे के हाथों में रहा करती है,
कागज के सफ़ेद पन्ने भले ही दाग रहित रहा करते ह़ो, पर ................
लिखने वाले हाथ दुनिया के अजब-गजब ढंगों को जानने वाले काली करतूतों को छुपाने वाले,
काले कलम से लिखे जाने वाले हुआ करते हैं.
फर्क है एक बच्चे में और एक दुनियादारी से मंजे हुए दिमाग के बीच.
इसीलिए बड़ी बड़ी कहानियां काली स्याही से लिखी जातीं हैं शायद....
1 comment:
nice
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