कंचन सा तपने देश खड़ा,
हर राह से उठता उठता शोर बड़ा,
आँखों में देखो आज यहाँ ललाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
हर हाथ तिरंगा लिए खड़ा,
गांधी टोपी फिर आज अड़ा,
भारत माँ ने चूड़ी फिर खनकाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
दाने बिन अन्ना वहां पड़ा,
हर युवक सीना तान खड़ा,
भ्रष्टाचार की फसल पर आंधी आई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
सरकारी अमला फंसा पड़ा,
बैठा नेता का चैन उड़ा,
अन्ना ने मनमोहन की नींद उडाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
राजेश अमरनाथ पाण्डेय
२२-०८-२०११
आँखों में देखो आज यहाँ ललाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
हर हाथ तिरंगा लिए खड़ा,
गांधी टोपी फिर आज अड़ा,
भारत माँ ने चूड़ी फिर खनकाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
दाने बिन अन्ना वहां पड़ा,
हर युवक सीना तान खड़ा,
भ्रष्टाचार की फसल पर आंधी आई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
सरकारी अमला फंसा पड़ा,
बैठा नेता का चैन उड़ा,
अन्ना ने मनमोहन की नींद उडाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|
राजेश अमरनाथ पाण्डेय
२२-०८-२०११
2 comments:
परिवर्तन तो होना चाहिए .. आपके इस खास पोस्ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!
Dhanyawad Sangeeta Ji!
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