Friday, March 26, 2010

सफ़ेद दुधी और काली स्याही

सफ़ेद दुधी और काली स्याही 

लकड़ी की काली पटरी से सफ़ेद कागज़ के पन्नो का सफ़र बड़ा ही अजीब सा रहा.
पटरी भले ही काली रही ह़ो पर लिखने वाला ह्रदय हमेशा श्वेत ही रहा है,
क्यों कि कलम एक बच्चे के हाथों में रहा करती है,

कागज के सफ़ेद पन्ने भले ही दाग रहित रहा करते ह़ो, पर ................
लिखने वाले हाथ दुनिया के अजब-गजब ढंगों को जानने वाले काली करतूतों को छुपाने वाले,
काले कलम से लिखे जाने वाले हुआ करते हैं.

फर्क है एक बच्चे में और एक दुनियादारी से मंजे हुए दिमाग के बीच.
इसीलिए बड़ी बड़ी कहानियां काली स्याही से लिखी जातीं हैं शायद....