Monday, May 7, 2007

नया दौर: परिवर्तन से प्रवर्तन तक

आरम्भ है एक परिवर्तन का। परिवर्तन स्वयम में तथा परिसर में जहाँ मैं रहने लगा हूँ। कई बार यह सोच कर कि मेरे विचार एक चिंगारी की भांति समाज में ज्वलंत प्रश्न ना उठा दें मैं अब तक मूक रह कर केवल ताकता रहा।
अब और नहीं.... ।

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