Monday, August 22, 2011

कंचन सा तपने देश खड़ा

कंचन सा तपने देश खड़ा,
हर राह से उठता उठता शोर बड़ा,
आँखों में देखो आज यहाँ ललाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|


हर हाथ तिरंगा लिए खड़ा,
गांधी टोपी फिर आज अड़ा,
भारत माँ ने चूड़ी फिर खनकाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|


दाने बिन अन्ना वहां पड़ा,
हर युवक सीना तान खड़ा,
भ्रष्टाचार की फसल पर आंधी आई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|


सरकारी अमला फंसा पड़ा,
बैठा नेता का चैन उड़ा,
अन्ना ने मनमोहन की नींद उडाई है,
परिवर्तन देश में लाने कि ऋतू आयी है|


राजेश अमरनाथ पाण्डेय 
२२-०८-२०११

2 comments:

संगीता पुरी said...

परिवर्तन तो होना चाहिए .. आपके इस खास पोस्‍ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!

Rajesh Amarnath Pandey said...

Dhanyawad Sangeeta Ji!